Membership

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हमें जन्म लेते ही हमारे ऊपर 5 ऋण लग जाते है | मातृऋण , पितृऋण , गुरुऋण , लोकऋण और मातृभूमि ऋण |
अतः लोकऋण एवं मातृऋण चुकाने के लिए देश , धर्म , समाज के लिए अपनी प्राचीन सभ्यता एवं प्राचीन परम्परा को बनाये रखने के लिए आइये हम आपका आह्वाहन करतें है आइये देश , सनातन धर्म एवं समाज के लिए कुछ करतें है |
यह संस्थानम् सम्पूर्ण भारत वर्ष ही नहीं अपितु सम्पूर्ण विश्व में सनातन धर्म, वैदिक परम्पराओं, भारतीय संस्कार, भारतीय शिक्षा को जागृत, सुरक्षित एवं प्रसारित करता है |
इस संस्थान को कार्य करने के लिए सम्पूर्ण भारत वर्ष में धर्म का प्रचार , शिक्षा में सुधार एवं शिक्षा को बढ़ावा , भारतीय संस्कृति एवं संस्कारो के बचाव एवं उत्थान हेतु सदस्यता अवश्य ग्रहण करें एवं सहयोग दें | भारत को विकसित देश बनायें | सनातन धर्म को जागृत रखें | इन सब कार्यों का विवरण कार्य एवं गैलरी में देखें |
अपनी संस्कृति का बचाव रखें –
आधुनिकता के साथ चलें परन्तु प्राचीनता को बनायें रखें –